भिखारी से अमीर बनने तक का सफर।

जब    हम किसी भी successful person की success story पढ़ते हैतब  सब   बात मे common देखी जाती है,कि वह इंसान चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो,
अपनी रोजमर्रा की जरूरत को पूरा करना उसके  लिए एक चुनौती से कम नही होता है।वह अपनी किसी न किसी काबिलियत के आधार पर ही पूरा कर पाता है।
इस पोस्ट में 02 भिखारियों का story बताऊंगा जो,अपने-अपने काबिलियत से अमीर बनने तक के सफर को तय किया।
कोई दयावान होकर तो कोई धैर्य रखते हुए अपनी success story बनाया है।
(1) ब्राह्मण  भिखारी।
(जिसके पास दया करने की काबिलियत थी)
जैसा कि आपको मेरे पिछले पोस्ट में पढ़ने को मिला था कि, ब्राह्मण जिस मंदिर पर भिक्षा मांगने जाया करते थे,उस मंदिर पर एक छोटी सी बच्ची भिक्षा मांगकर अपना पेट पालती थी।ब्राह्मण को दया आई जबकि उनके घर 06 लडकिया पहले ही जन्म ले चुकी थी।फिर भी उस बच्ची को अपना बेटी बनाकर घर लाया।
कुछ दिनों बाद कि बात है ब्राह्मण जिस राज्य मे रहते थे
उस राज्य में एक नया राजा का चुनाव हुआवह राजा  बड़ा ही बावला किस्म का आदमी था।
उसने सभी मंदिरों के पुजारियों को बोला कि मेरे इस 02 प्रश्नों के उत्तर कल तक सभी पुजारी बताओ
नही तो मैं इस राज्य के सभी मंदिर और मूर्तियों को हटवा दूँगा।

पहला प्रश्न :-भगवान कहाँ हैं?

दूसरा प्रश्न  : इस समय वह क्या कर रहा है?

अब ब्राह्मण भिखारी की चिंता बढ़ गयी कि  अगर यहाँ कोई मंदिर ही नही रहेगा तो पर्यट आएंगे नही तो हमें भिक्षा कौन देगा?
चिन्ता से ब्राह्मण को नींद नही आ रही थी ,कि इतने में,उनकी मंदिर वाली दिव्य बिटिया ने पूछा कि पिताजी आप क्यो?
चिंतित हैं। ब्राह्मण ने सारी बाते उस दिब्य बेटी को बताया उस दिव्य बच्ची ने बोला  पिताजी आप चिंता न करे आप मुझे राजा के पास ले चले मैं आपको यकीन दिलाती हूँ।  कोई मंदिर या पुजारी यहाँ से नही हटेगा राजा के प्रश्नों का उत्तर मैं दूंगी।
अगले दिन ब्राह्मण ने उस दिव्य लड़की को राजा के समक्ष ले गया।
अब राजा ने अपना पहला प्रश्न पूछा।

भगवान कहाँ है?

लड़की ने बोला कि राजन क्या हमें थोड़ा दूध मिलेगा ?

राजा ने लड़की को एक बर्तन में दूध दिलवाया।

लड़की ने राजा से पूछा:-की राजन आपको इस बर्तन में क्या दिखाई दे रहा  है।

राजा ने उत्तर दिया:-दूध

लड़की ने कहा कि मुझे तो मक्खन  और घी:  भी दिखाई दे रहा है क्या ?आपको नही दिखाई दे रहा है?

राजा ने बोला :- नही

लड़की ने पूछा :-तो राजन क्या इसमें मक्खन और घी: नही है?

राजा ने उत्तर दिया:- है

तब लड़की ने  यह प्रमाणित किया कि जिस तरह इस दूध में मक्खन औऱ घी: रहने के बाद भी दिखाई नही देता है।
उसी तरह इस संसार मे भगवान हर कण-कण में मौजूद हैं जो दिखाई नही देता।
जैसे:- दूध को मथने से मक्खन तथा मक्खन से घी: निकलता है।
उसी प्रकार
वेदांग तथा मंत्रो के मनन और श्रवण करने से भगवान कहा है यह अनुभव किया जा सकता है।
ये आपका पहला प्रश्न का उत्तर है।

राजा ने बोला कि चलो मान लिया।
लेकिन वो इस् समय क्या कर रहा है।

लड़की ने बोला:- राजन  इस समय मैं आपके प्रश्नों का उत्तर दे रही हूँ।इसलिए मैं आपके गुरु और आप हमारे शिष्य हुए ।

लेकिन मैं खड़ी हूँ और आप गद्दी पर बैठे हैं।
क्या?
आप मुझे थोड़ी देर गद्दी देंगे और आप मेरे जगह पर आएंगे।

राजा ने अपनी गद्दी उस लड़की को दिया ।

तब लड़की ने बोला कि आपके दूसरे प्रश्न का उत्तर हो गया।

क्योंकि भगवान इस वक़्त यही कर रहा है।
नही तो मेरी क्या अवकात थी कि आपके गद्दी पर मैं बैठती।
इसलिए राजन भगवान की ऐसी ही लीला है जो कब क्या कर दे किसी को पता नही होता।

राजा ने लड़की की बातों से बहुत प्रसन्न हुआ।

और अपने मंत्रियों को बुलाकर लड़की के घर के विषय मे पता किया ।चुकी ब्राह्मण भिखारी की लड़की थी तो राजा ने उस ब्राह्मण को बोला की आज से आप को भिक्षा मांगने की जरूरत नही है।
हम अपने राज्य में एक और भव्य मंदिर बनाने जा रहे हैं।
जिसका मुख्य पुजारी आप रहेंगें।
क्यो की आज आपकी लड़की ने मेरे मन के अंधकार को दूर कर दिया।
इस तरह ढ़ेरो सारी मुद्राएं देकर उस लड़की की स्वागत हुआ।
और ब्राह्मण को मंदिर मिला  उसमे पूजा-पाठ करने के कारण उन्होंने अपना भिखारी से अमीर बनने का सफर तय किया।
दोस्तो वह लड़की कोई मामूली लड़की नही थी वो तो साक्षात लक्ष्मी का रूप थी ।
लेकिन ब्राह्मण मे भी काबिलियत था क्योंकि उसके पास दया था।
अगर वो दयावान नही होते, तो वह लड़की  घर आती नही वह ब्राह्मण अमीर  कैसे बनता।

(2)दूसरा  भिखारी  की कहानी :-
(जिसके अंदर धैर्य रखने की काबिलियत थी)

जब मंदिर बन गया था तो एक दिन राजा मंदिर गया।
उसे मंदिर के बाहर दो भिखारी मिले   उसमें सेें एक भिखारी भगवान से  भिक्षा मांग रहा था, कि हे भगवान हमे कुछ दे।
दूसरा भिखारी वहाँ पर आए सब से मांग रहा था।जैसे ही राजा वहाँ पहुचे तो वह दूसरा भिखारी मांगने  के लिए राजा के पास पहुंच गया ।
तथा राजा से भिक्षा  मांगते हुए कहने लगा की आप को भगवान बहुत कुछ दिये हैं ,हमें भी कुछ दे दीजिये।
परंतु पहले वाला भिखारी राजा से मांगने नही आया।
वह वही पर बैठे भगवान से ही मांगता रहा।

राजा तो बवला था ही ,घर जाने पर उसने अपने मंत्री को बोला कि।
मंत्री जो भिखारी मेरे से भिक्षा मांग रहा था।
उसे एक मटके स्वादिस्ट खीर दिया जाय।
और साथ ही उस मटके में 10 सोने का सिक्का डाल कर भेजवाया जाय।
क्योंकि?
उसका मेरे ऊपर भरोसा है।

मंत्री ने सीघ्र ही खीर से भरी हुई मटके में 10 सोने के सिक्के डाल कर राजा से मांगने वाले भिखारी को दे आया।

जैसे ही मटका मिला तो वह भिखारी भगवान से मांगने वाला भिखारी को दिखाया।
देख राजा ने कितना स्वादिस्ट खीर भेजा है मेरे लीये।
और वह खीर खाने लगा ।
खाते-खाते आधी खीर ही खाया था और बाकी का बचा हुआ खीर का मटका उस भगवान से मांगने वाले भिखारी को दे दिया।
ले खा लेना नही तो भूखे मर जाओगे।

तू तो भगवान से ही मांगता रहेगा।

वह भिखारी ने बिना कुछ कहे भगवान का नाम लिया और  आधी खीर वाली मटका लेकर खाते हुए चला गया।

अगले दिन जब राजा मंदिर आये तो देखे की एक ही  भिखारी उस मंदिर पर भिक्षा मांग रहा था। दूसरा नही आया था।
वही भिखारी था जिसे राजा ने मटके में सोने का सिक्का डलवाकर खीर भेजवाया था।
दूसरा भिखारी जो भगवान से  मांगता था  वह भिक्षा मांगने नही आया था।
राजा ये देखकर  हैरान हुआ और उस भिखारी से पूछा।
क्या  तुम्हें खीर वाली मटका नही मिला?
भिखारी बोला मिला था, राजा साहब,
बहुत ही स्वादिस्ट खीर था।
बहुत मज़ा आया ।।
राजा ने फिर से पूछा कि वह मटका कहा है,
भिखारी ने बोला :-
साहब मेरे पास एक भिखारी और था जो अपने आप में बहुत धैर्यशील था। वह भगवान से ही मांगता था।
बेचारा भगवान ने तो दिया नही भूखा था।
इसलिए बची हुई खीर का मटका मैं उसे दे दिया कि ले खा लेना।

अब एक बार औऱ राजा को भगवान पर बिस्वास हुआ।

और राजा ने बोला कि आदमी  की  परिस्थिति चाहे कैसी भी हो अपने गुणों से वह बदल सकता है।
लेकिन जो भी गुण और काबिलियत हो बस उस पर अटल रहना पड़ता  है।

उसके पास धैर्य  जैसी काबिलियत था इसलिये भगवान ने उसकी सुन ली।
भगवान उसकी सुनेगा  जिसके पास धैर्य रहता हो।
इसलिए उस भगवान से मांगने वाले भिखारी की भिक्षा मांगने से छुट्टी हो गई।
वह अब 10 सोने के सिक्कों के साथ अपना अमीर बनने का सफर तय कर रहा होगा।

इसलिए कहते हैं :- रब से मांगो, सब से नही।।

दोस्तो:मुझे उम्मीद है कि ये कहानी आप सबको
पसंद आयी होगी।
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शिक्षा;-चाहे कैसी भी परिस्थिति हो।अपने कर्म के साथ-साथ हम सब को धैर्य और दया का मार्ग नही छोड़ना  चाहिए।
एक न एक दिन सफलता जरूर आपके  कदम चूमेगी।।   धन्यवाद।।
                                         आपका सुभचिंतक
                                          अखिलेश कुमार

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