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Showing posts from May, 2017

कमी तो निकालेगा,चाहे आप कुछ भी कर लो।

इस बात को समझाने के लिए आपको एक कहानी बताता हूँ। किसी गांव मे एक पंडित जी रहते थे। उनका स्वभाव ही ऐसा था की ओ कही पर भी अगर भोजन करने जाते तो कुछ न कुछ कमी निकाल ही देते थे। उनका हर -दम का यही पेसा हो गया था। कोई कितना भी अच्छा खाना खिलाये कमी तो निकाल ही देना है। इस बात को लेकर गांव के सबलोग तो परेसान् हो ही गए थे। आब माता पार्वती भी परेसान हो के- भगवान भोले से बोली की हे नाथ मुझे एक बात बताये की  ये जो पृथ्वी लोक पर पंडित जी है । ये कोई कितना भी अच्छा खाना खिलाता ह, ये कुछ न कुछ कमी निकाल देता है। अगर मै अपने हाथो से खुद खाना बनाकर इनको खिलाऊ तब तो नही कुछ कमी निकालेगा? भगवान भोलेनाथ हँसने लगे और बोले की देवी आप ब्यर्थ ही परेसान हो रही है। कुछ नही होगा ये तो कमी निकालेगा ही निकालेगा। पार्वती जी बोली:-नही पर्भु ऐसा नही होगा आप मेरे साथ पृथ्वी लोक चले आखिर मै अनपूर्णा का रूप हूँ। और पार्वती जी भोलेनाथ को लेकर पृथ्वी लोक पर आ गई ।गांव से कुछ दूर पर एक घर बनाये । और घर की पूजा में उस गांव के सभी पंडित जनो को निमंत्रण भेजे। खास कर उस पंडित जी को माँ अनपूर्णा (पार्वती) ज

एक झूठ बोलने के लिए आपको छूट है।

इस कहानी से आपको बताऊं गा। एक बार अकबर ने बीरवल की परीक्षा लेने की तैयारी पहले से कर रखी थी। सबलोग इकट्ठे हो गए थे दरबार लगा हुआ था। अब बीरवल आ गए । और ये सोच में डूब गए की आज अकबर को हुआ क्या अचानक सभा लगा कर बैठ गए ।तभी अकबर बोले की बीरबल आज तुम्हारी परीक्षा लूंगा की तुम हमेसा झूठ बोलते हो या सच ।क्या तुम तैयार हो? अब बीरबल को  सब समझ में  आ गया। बीरबल बोले हाँ जी में तैयार हूँ । अकबर अपने हाथ में एक तितली लिया था, और बीरवल से बोला की बीरवल बताओ ये तितली  जिन्दा है या मुर्दा? बीरबल थोड़ा देर सोच में पड़ गए की अगर मै इसको जिन्दा बोलूंगा तो ये इसको मार कर ही दिखाएगा , और मुर्दा बोलता हूँ तो ये जिन्दा तो दिखा देगा ।तो हारना हर हाल में निश्चित है। तो क्यों नही मै झूठ ही बोल दू ,ताकि अकबर इसे जिन्दा दिखाने के लिए उड़ा देगा।इस प्रकार इस तितली की जान बच जायेगा। और बीर बल बोला की हुजूर ये तो मरी हुई तितली है।और अकबर ने वही किया जो बीरबल सोचे थे। तब अकवर भरी सभा में बीरबल को कहा की बीरबल तुम हार गए।तुमने झूठ बोला। तब बीरबर ने

क्या आपने कभी सोचा है?

अक्सर जिंदगी में हमने देखा है ।की जब हम रेडलाइट पर खड़े होते है ।और बगल में मुड़कर देखते है की एक कार आ कर खरी होती है ।और उस कार के अंदर एक कूता 🐕 बैठा होता है।और तो और जब किसी मुहल्ले से होते हुए जाते है ।तो बगल में एक खूब सुन्दर सा मकान देखते है उस मकान में भी एक कुत्ता-एक कुत्ता जिसका A/C बैडरूम होता है ।लेकिन कभी हमने सोचा क्या? नही हम सिर्फ कल्पना करते है ,की ये बड़े लोग है।सिर्फ कल्पना,लेकिन ये बात मै आपको बताना चाहूँगा की क्या ये  अपने माँ के कोख से ही बड़े होकर पैदा हुये है ?नही ऐसा नही है ,जैसे आप और हम सबको माँ ने जन्म दिया इसी तरह उनका भी जन्म हुआ है।लेकिन ये उनलोगो में से है जो रेडलाइट और मुहल्ला की ओ सुन्दर मकान में एक कुत्ते को आराम की जिंदगी को देखने के बाद ओ कल्पना नही किये।बल्कि  सोचा की मेरे पास ये सब क्यों नही है? अपने-आप से सवाल किया और उसी दिन कसम खा लिया की मैं भी अपना सुदर घर बनाऊगा और मेरे पास भी एक कार होगी और उस सोच पर काम किया और करता रहा और आज उसके पास वो सब चीज है। इसलिए हम सबको भी सोचना चाहिए । जहा सोच है वही सबकुछ है।                                    

निन्यानवे के चक्कर में खुशबू आना बंद हो गया

किसी गांव में एक सेठ जी थे। बड़े ही धनवान थे। बड़ा मकान था,दोनों मिया-बीबी साथ रहते थे । सेठानी को हर समय इस बात का तनाव रहता था।पास में एक गरीब की झोपड़ी थी।उसके घर कुछ न कुछ हलवा,खीर बनती रहती थी।उसकी सुगंध उसके पास आती थी। सेठानी कहती: देखो जी आज फिर हलवा बन रहा है।कितनी खुशबू आ रही है। रोज- रोज   यही होता है। सेठ तंग हो गया था।एक दिन सेठ ने सोचा  की यह झंझट अब खत्म करना ही पड़ेगा ।उसने अपना दिमाग लगाया और कुछ (चिल्लर )पैसे घर में इकठा किया और एक थैले में बांधकर  उसके झोपड़ी में फेक दिया। और वक्त का इंतज़ार करने लगा ।जब झोपडी वाला काम से घर पर आया तो देखा की एक थैली पड़ी थी ,,जब उसको खोला तो उसमे कुछ चिल्लर (पैसे) थे।उसने उसको गिना तो एक कम 100 रुपया था ,उसको बिस्वास नही हुआ तो फिर गिना। उसको बार-बार गिना लेकिन वो तो निन्यानवे रूपये ही थे। गिनने से सौ रूपये थोड़े बन जायेगा।उसने कहा की वो देनेवाले तूने रूपये तो दिए मगर एक कम दिया।देता तो सौ रूपये पूरा देता।उस समय सौ रुपया वाला भी पैसा वाला   आदमी हो   जाता था। अब उसने अपने पत्नी से बोला की अगर हम एक रुपया जोड़कर इसे सौ रुपया पूरा कर दे।  तो

गधे से भी हमे सीखना चाहिए।

हाल ही में आपने यूपी चुनाव में गधे पर चर्चा सुनी होगी। आपको बता दे की हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने गधो के सवालात पर अपना स्पस्ट प्रतिक्रिया दिया था । की मै गधा से भी प्रेणना लेता हूँ ।और बिना फर्क किये की चुना है या चीनी जनता के लिए काम करता हूँ। इसी बात पर मै एक कहानी लिखता हूँ मुझे उम्मीद है की आप सबको पसंद आएगा । किसी गांव में एक गंगा राम धोबी रहता था ।उसके पास एक ही गधा था जो पूरा दिन उसके साथ रहता था जो कपड़े को ढ़ोने में मदद करता था। उसका जीवन-यापन कपडे को धोने से ही चलता था। काफी दिन बीत चुके थे गधा धीरे-धीरे पुराना तो हो ही गया था साथ ही काफी कमजोर भी हो गया था ,इधर धोबी भी बूढ़ा हो चला था क्योकि धोबी गंगाराम अपने काम पर तो ज्यादा लेकिन अपना और अपने गधे पर कम ध्यान देता था।इसलिए गधा कमजोर हो ही गया था अब हुआ ये की एक दिन काफी तेज धुप था धोबी गंगा राम ने सोचा की आज सारा काम  निपटा कर ही घर चलूँगा और वह सुबह से ही कपड़े धोने में लग गया ।अब दोपहर का समय हो चला था ।धोबी गंगा राम ने अपनी गधा लेकर धोबी घाट से चला ही था की तेज धुप और भूख के कारण गधे को चकर आता है और बगल के एक गढ़े