गधे से भी हमे सीखना चाहिए।
हाल ही में आपने यूपी चुनाव में गधे पर चर्चा सुनी होगी।
आपको बता दे की हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने गधो के सवालात पर अपना स्पस्ट प्रतिक्रिया दिया था ।
की मै गधा से भी प्रेणना लेता हूँ ।और बिना फर्क किये की चुना है या चीनी जनता के लिए काम करता हूँ।
इसी बात पर मै एक कहानी लिखता हूँ मुझे उम्मीद है की आप सबको पसंद आएगा ।
किसी गांव में एक गंगा राम धोबी रहता था ।उसके पास एक ही गधा था जो पूरा दिन उसके साथ रहता था जो कपड़े को ढ़ोने में मदद करता था।
उसका जीवन-यापन कपडे को धोने से ही चलता था।
काफी दिन बीत चुके थे गधा धीरे-धीरे पुराना तो हो ही
गया था साथ ही काफी कमजोर भी हो गया था ,इधर धोबी भी बूढ़ा हो चला था क्योकि धोबी गंगाराम अपने काम पर तो ज्यादा लेकिन अपना और अपने गधे पर कम ध्यान देता था।इसलिए गधा कमजोर हो ही गया था अब हुआ ये की एक दिन काफी तेज धुप था धोबी गंगा राम ने सोचा की आज सारा काम निपटा कर ही घर चलूँगा और वह सुबह से ही कपड़े धोने में लग गया ।अब दोपहर का समय हो चला था ।धोबी गंगा राम ने अपनी गधा लेकर धोबी घाट से चला ही था की तेज धुप और भूख के कारण गधे को चकर आता है और बगल के एक गढ़े में गिर जाता है।और जोर-जोर से चिलाने लगता है।धोबी गंगाराम भी काफी कमजोर हो गया था इसलिए गधा निकालने में सक्षम नही था ।प्रयत्न तो उसने काफी किया लेकिन गधा को वाहर नही निकाल सका।
फिर धोबी गंगाराम ने सोचा की क्यों न इसको इसी गढ़े में मिटी डाल कर दफना दू, वैसे भी ये अब मेरे काम का नही है, बार-बार मुझे परेसान करेगा।
धोबी ने गधे के ऊपर मिटी गिरना चालू कर दिया ।फिर क्या गधा को भी अपनी मौत का आभाष हो गया की मेरा मालिक मुझे यही दफना कर मारना चाहता है और गधा ने अपना शरीर हिलाना चालू कर दिया।
थोड़ी देर में धोबी गंगाराम ने गढ़े में झांक कर देखा तो गधा काफी ऊपर आ चूका था।
हुआ ये था की जो मिट्टी गधे पर गिरता था ओ अपना शरीर हिला कर मिटटी गढ़े में गिरता गया और गधा ऊपर आता रहा इस तरह गधा का जान बच गया।
उसी प्रकार दोस्तों जब हमारे ऊपर मुसीबत आती है तो कोई साथ नही देता खुद को हाथ-पाव हिलाकर उस मुसीबत को गढ़े मे गिराते हुये बाहर निकलना पड़ता है।
ये कहानी कैसी लगी आप सब कॉमेंटबॉक्स कॉमेंट जरूर करियेगा।
धन्यबाद,नमस्कार,प्रणाम।
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