Self-view(अपनी-अपनी नजरिया)

इस बात को समझने के लिए मैं आपके साथ एक कहानी शेयर कर रहा हूँ।
एक जूते के ब्यापारी ने अपने एक सेल्स मैन को किसी दूसरे शहर में भेजा और बोला कि वहाँ जाकर ये दखो की हम। जूते का शोरूम  खोले तो बिक्री होगी कि नही?
सेल्स मैन वहा जाता है और जाकर देखता है कि वहाँ के लोग तो जूता-चप्पल तो पहनते ही नही है ।
किसी के पैर में नही पाया ।
और  वापस आ जाता है ।उसने अपने मालिक को बताता है कि वहाँ  जूता का शोरूम नही चलेगा क्यो की वहाँ के लोग  खाली पैर  ही रहते है।
अब ब्यापारी ने दूसरे सेल्स मैन को वही  भेजा
जब वहां जाकर उसने देखा कि यहाँ के किसी भी आदमी के पैर में  जूता-चप्पल नही है तो वो हैरान हो गया ।
और अपने मालिक को आकर तुरंत बताया कि जितनी जल्दी हो सके आप  वहा जूता-चप्पल का शोरूम खोले क्यो की वहाँ पूरा का पूरा क्षेत्र खाली पड़ा है ।
अपना व्यपार खूब चलेगा।
सिर्फ लोगो को इसके बारे में बताना है।
और उनको पहना कर इसके खूबियों के
बारे में बताना है ।
फिर ब्यापारी ने अपना शोरूम खोल दिया।
इस कहानी से आपको समझ तो आ ही गया होगा
की अगर आप अपना सोचने का तरीका बदल देते हैं
तो सब कुछ हो सकता है ।धन्यबाद ।।।
                                           आपका शुभचिंतक
                                            अखिलेश कुमार
                                            गोपालगंज बिहार

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