जिंदगी किसे कहते है
दिल टूटने पर भी हंसना शायद जिंदगी इसी को कहते है।
ठोकर खाने पर भी मंजिल तक भटकना शायद जिंदगी इसी को कहते है।
किसी को चाह कर के भी ना पाना शायद जिंदगी इसी को कहते है।
गिर कर के भी उठ जाना शायद जिंदगी इसी को कहते है।
नमस्कार ,प्रणाम दोस्तों मुझे उम्मीद है की आप सभी अच्छे होंगे।
कैसी लगी जिंदगी की परिभाषा ?
प्लीज़ लाइक और शेयर जरूर करे ।इसे पढ़ने के बाद कोई भी ब्यक्ति के जीवन में आशा की किरण जगमगा उठेगा और वो अपनी मंजिल पाने में सफल हो जायेगा तो ही मेरा पोस्ट सफल होगा।
मेरा प्रयास आप सभी का विकास ।
आपका सुभचिन्तक
अखिलेश कुमार
गोपालगंज बिहार
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