कभी कभी देखकर भी नही बोलना चाहिए

दोस्तों हमारे जीवन मे ऐसे भी कुछ समय आ जाते हैं जो हम किसी घटना को अपनी आंखों से देखने के बाद बिना सोचे समझे तुरंत बोल देते हैं।
और फिर कही न कही नुकसान होते देखकर हम पछताते है।
इस बात को अच्छी  तरह समझने के लिए मैं दो ऐसे कहानिया  लिख रहा हूँ  जिसको पढ़ने के बाद आप भी बोलने से पहले एक बार जरूर सोचेंगे।
पहले युग की पहली कहानी:-
एक बार की बात है भगवान भोलेनाथ नाथ को नंदी बाबा बोले कि प्रभु बहुत दिनों से कैलास पर बैठे है।जाइये  धरती पर भी  घूम आइये आपके भक्त बहुत सुंदर सुंदर मंदिर बनाये हैं। बड़ी ही धूम-धाम से पूजा पाठ कर रहे हैं।  भगवान भोलेनाथ  बोले  कि यहाँ कैलाश पर  कौन बैठेगा।तब नंदी बाबा बोले कि प्रभु आपका आज्ञा हो तो मैं आपके जगह आपके रूप लेकर बैठ जाता हूँ।
भगवान भोलेनाथ ने खूब हँसा  औऱ अपने रूप में नंदी बाबा को बैठने की आज्ञा दे दीये और बोले कि मेरा कोई भी भक्त आये तो  उसे देखना ,उसकी सब बात सुन लेना। मैं जब आऊंगा तो मुझे बताना तुम कुछ मत बोलना।
इस तरह नंदी बाबा को समझा कर भोलेनाथ नाथ घूमने चले गए
कुछ दिन बाद एक बहुत धनवान ब्यक्ति आया और भोलेनाथ को प्रणाम  किया और दान के रूप में अपने पर्स से कुछ पैसे निकाल कर चढ़ाया और गलती से उसका पर्स वही पर गिर गया। वो ब्यक्ति चला गया।उसके जाने के बाद एक भिखारी आया भोलेनाथ के चरणों मे गिर गया और बोलने लगा कि भगवान आज मेरे बच्चे अगर भूखे रह गए तो मैं यही अपना दम तोड़ दूंगा।इतने में भिखारी कि नजर उस पर्स पर पड़ा और भिखारी पर्स लेकर कहते  हुए जाने लगा कि आज भोले ने सुन लिया तब तक भोलेनाथ के पास एक और आदमी आया जो दूसरी बार बिदेस जा रहा था भगवान भोलेनाथ से बोला की हे भगवान इस बार भी मुझे अपनी कामयाबी में सफल करना ताकि मैं खूब धन कमा सकू।
इतना कह ही रहा था कि   जिसका पर्स गिरा था उसने वहाँ पुलिस लेकर आ गया र बिदेस जाने वाले आदमी को पुलिस पकड़ के ले जाने लगा।
अब ये सब तमासा देख कर नंदी बाबा से चुप नही रहा गया वो बोल पड़े की तुम्हारा पर्स उस भिखारी के पास  है  जो अभी लेकर जा रहा है ये बेचारा निर्दोष है इतनी बात सुनते ही पुलिसकर्मियों ने बिदेस जाने वाले ब्यक्ति को छोड़कर  उस भिखारी को पकड़ लिया तथा उससे पर्स छीन लिया।
जब भोलेनाथ कैलाश लौटे तो नंदी बाबा ने सब बृतान्त भगवान से सुनाया तो भगवान भोले बहुत क्रोधित हो गए और नंदी को बोले की तूने सब गड़बड़ कर दिया।
नंदी हाथ जोड़कर पूछने लगे कि प्रभु ऐसा क्या हो गया मुझे क्षमा करें और सीघ्र ही बताने का कष्ट करें।
तब भगवान भोलेनाथ ने बताया कि जिस ब्यक्ति का पर्स गिरा था उसके पास अपार धन है। उसका पर्स  गिर जाने से  उसे कोई फर्क नही पड़ता।
लेकिन उस भिखारी के परिवार भूख से तड़प कर मर गए
वो ब्यक्ति जो बिदेस गया वहा  से अब वो कभी वापस नही आएगा क्योकी वहा बहुत बड़ी सुनामी तूफान आने वाला है।
नंदी तूने अपना मुह खोलकर  बहुत अन्याय किया है।
मैं अपने भक्तों को अनेको रूप में सहायता करता हूँ।
तुझे पता नही है उस पर्स के पैसों से आज भिखारी का परिवार जिंदा रहता।
बिदेस जाने वाले ब्यक्ति को पुलिस जेल करता क्यो की उसके पास तो पर्स मिलता नही।
जेल में रहने के कारण उस सुनामी तूफान में उसकी मौत नही होती।नंदी बाबा ने बहुत अफसोस किया।
मगर अब
नंदी बाबा के पछताने से उन लोगो के प्राण वापस नही आएंगे।
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आज की युग की दूसरी कहानी:- 
तीन कारीगर जो पैसा कमाने गए।
जहां पर गए थे वहां के नियम बहुत सख्त था किसी से भी कोई गलती हो जाती तो सजाये मौत की सज़ा सुनाई जाती थी और एक मसीन था जिस पर लेटा कर उसको चालू कर दिया जाता था और वो मशीन चलकर आती गर्दन काट देती थी।
एक दिन की बात है।
उन तीनों कारीगर से भी गलती हो जाती है।और उनको भी  मौत की सजा  सुनाई जाती है।
सजा देने के लिए.....
तीनो को उस मशीन के पास ले जाया गया।
पहले कारीगर को मशीन पर लेटाया गया मशीन चालू कर दिया  गया मशीन चलकर आ रहा था जैसे ही गर्दन के पास आया कि अचानक एक  हल्की आवाज़ आयी  और मशीन रुक गया।
सज़ा देने वाला ने यह बोलते हुए  उसको छोड़ दिया कि जा तेरा अभी उम्र है बच गया।सायद भगवान को तेरी मृत्यु पसंद नही  है।
अब दूसरे कारीगर को मशीन पर लेटाया गया मशीन चालू किया गया मशीन चलकर आते आते फिर उसके गर्दन के पास आ कर रुक गयी ।
सज़ा देने वाले इसको भी छोड़ दिया।भगवान ने तुझे भी बचा लिया।
अब तीसरे की बारी आई तो उसको भी मशीन पर लेटा कर   मशीन चालू कर दिया गया तब तक दूर बैठे एक ब्यक्ति की नज़र उस मशीन पर पड़ा जिसका एक नोट बोल्ट ढीला था ,और वह बोल पड़ा कि क्या ,भगवान -भगवान कर रहे हो मशीन का नटबोल्ट ढीला है।
इसलियें मशीन रुक जाती है।
दोस्तो फिर क्या था सज़ा देनेवाले ने मशीन की नटबोल्ट टाइट करवाया।
उसके बाद तो मशीन चली और उस कारीगर की गर्दन को काटती हुई चली गयी ।
दोस्तो.....
उस आदमी को क्या मिला जो बिना सोचे समझे बोल दिया।
नही बोलता तो उस तीसरे कारीगर की भी जान बच जाता।
इस कहानी से हमे भी यही सीखना है कि बहुत से ऐसी घटना होती है जहाँ पर देखने के बाद भी नही बोलना उचित होता है।
जिसके चलते किसी का घर -परिवार उजड़ने से बच जाता है।
धन्यबाद।।
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ताकि आज भी हमारे समाज मे कुछ लोग हैं जो अपने आप को बोलने से रोक नही पाते हैं ।
और जब किसी का नुकसान हो जाता है तो यह कहकर पछताते है कि कहां से कहां मैं बोला।
नही बोला होता तो उसका  नुकसान नही होता।
                                        आपका सुभचिंतक
                                          अखिलेश कुमार

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